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अंतरिक्ष युद्धम 9


एएजी, एंटी एलियन ग्रुप

    पृथ्वी पर अभी तक एलियन स्पेसशिप को गए हुए 2 घंटे हो गए थे। दुनिया भर की टीवी चैनलों में इस वक्त सिर्फ एक ही चीज थी जिसे टीवी चैनल्स के एंकर बार-बार दिखा रहे थे।
    
    "दुनिया पर हुआ एलियंस का हमला"
    
    "वह चीज सच हो गई जो अभी तक सिर्फ सपना था"
    
    "आखिर कौन थे वह एलियन"
    
    अलग-अलग टीवी चैनल्स अलग-अलग हेडलाइंस के साथ इस खबर को दिखा रहे थे। विदेशी मीडिया चैनल्स भी पुरे मिर्च मसाले के साथ एलियंस वाली खबरों को पेश किए जा रहा था। यह खबरें लोगों में दिलचस्पी कम पर डर ज्यादा पैदा कर रही थी। इस डर को बढ़ाने का काम उस खबर ने कहीं ज्यादा किया जब लोगों को बताया गया की हमारी एक भी मिसाइल उस एलियन स्पेसशिप को छु तक नहीं पाई। कुछ टीवी चैनल्स अलग-अलग पार्टी के प्रवक्ताओं के साथ एक बहस बाजी में जुड़ कर दुनिया के खत्म होने की संभावना तक जताने लगे। हालांकि अभी तक किसी भी दिग्गज नेता का बयान नहीं आया, ना तो भारत के प्रधानमंत्री ने प्रेस में कोई बयान जारी किया ना ही अमेरिका,ब्रिटेन, जर्मन और इंग्लैंड के यहां के दिग्गज नेताओं ने। इस वक्त उन सभी के बीच कुछ अलग ही मंत्रणा हो रही थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के 5 वीटो पावर रखने वाले देश चाइना, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट ने सभी नेताओं को एडवाइस जारी कर दी थी कि वह बिना किसी परिचर्चा के किसी भी तरह का ब्यान ना दें। किसी गलत तरह का बयान इन हालातों में डर और भय का माहौल पैदा कर सकता है। इससे लोगों में गलत माहौल बनेगा और चारों तरफ अशांति फैलने की आशंका बढ़ जाएगी।
    
    देश के सभी सत्ताधारी नेताओं ने इसके बाद यही फैसला किया कि सबसे पहले वह आपस में संवाद कर इसके किसी हल के बारे में सोचेंगे। उसके बाद ही वर्ल्ड मीडिया को बयान दिए जाएंगे। सभी नेताओं की समांतर सम्मिलित कॉन्फ्रेंस हो रही थी।
    
    अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा "हमें इन हालातों में अंतरिक्ष के अंदर न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च कर देनी चाहिए, अगर एलियंस दोबारा धरती के आस पास भी दिखें तो उन्हें वही खत्म कर देंगे" चाइना अब तक इस मुद्दे में शांत था, पर अमेरिका के राष्ट्रपति के बयान के बाद चाइना के प्रधानमंत्री ने कहा "हम एलियंस को कम नहीं आंक सकते हो, अगर हमारी मिसाइलें उन तक नहीं पहुंच रही तो संभवत न्यूक्लियर मिसाइल भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी"
    
    ब्रिटेन की रानी भी बीच में बोली "हमें अब न्यूक्लियर मिसाइल से भी बड़े हथियार के बारे में सोचना चाहिए, ऐसा हथियार जो हर परिस्थिति में अचूक हो"
    
    फ्रांस के राष्ट्रपति बोले "अब हमें अपने अंतरिक्ष प्रयोजनों को नया मकसद देना होगा, हमारा मुकाबला हमसे भी बड़ी शक्ति के साथ है"
    
    रुस की ओर से कहा गया"सभी देश मिलकर एक साथ काम करें, अगर सब एक साथ काम करते हैं तो इस समस्या का हल भी मिल जाएगा"
    
    वहीं भारत के प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर जो विचार रखा वह बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा " अब हमें सभी देशों को मिलाकर एक ऐसा ग्रुप या संगठन बनाना चाहिए जो इन एलियंस के विरुद्ध काम करें, इस संगठन का मुख्य उद्देश्य एलियंस की तकनीक को समझना और फिर उनसे लड़ने का तरीका जानना होगा। एलियंस की तकनीक को समझकर ही हम यह फैसला कर पाएंगे कि हमें उनके खिलाफ कैसे काम करना है। फिर यह भी पता करना है कि उनके इरादे क्या है, अगर उनका मकसद हम से मित्रता करना हुआ तो हमें इन सब के बारे में अलग नजरिए से सोचना पड़ेगा और अगर वह दुश्मनी करना चाहते हैं तो इसका भी इलाज ढूंढना होगा"
    
    अमेरिका के राष्ट्रपति को भारत के प्रधानमंत्री का प्रस्ताव अच्छा लगा। बाकी देशों ने भी इस पर अपनी सहमति जताई। अमेरिका के प्रधानमंत्री ने कहा "अगर सही मायने में देखा जाए तो अब सब देशों के एक होने का वक्त आ गया है। हमारे ऊपर जो मुसीबत आई है उसको निपटने का यही तरीका है ,हम सब आपसी एकता दिखाएं। एक दूसरे की तकलीक को साझा करें और नई तकनीक बनाए"
    
    रूस के राष्ट्रपति बोले "हां, बिल्कुल सही, हम लोग अब नई तकनीक और एक नए संगठन पर ध्यान देंगे। नए बनने वाले सगठनं का नाम होगा एंटी एलियन ग्रुप, जो भी देश इस संगठन का हिस्सा बनेगा वह अपनी अर्थव्यवस्था का कुछ हिस्सा और जाने-माने साइंटिस्ट को इसके अंदर शामिल करेगा। साइंटिस्ट मिलकर तकनीक में योगदान देंगे और अर्थव्यवस्था से आने वाला पैसा इस काम को और आसान करेगा"
    
    "हां" "हां" एक-एक कर दूसरे देशों के सहमति के स्वर गूंजने लगे। सम्मिलित होने वाले देशों ने सामने से आकर कहा वह इस संगठन का हिस्सा बनेंगे। शुरुआत में आगे आने वाले देश अमेरिका, चीन और जापान थे। फिर इसके बाद भारत पाकिस्तान, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और दूसरे देश शामिल हो गए। कुल मिलाकर इस संगठन का हिस्सा 127 छोटे-मोटे देश बने। एंटी एलियन संगठन के मुख्यालय के लिए थोड़ी बहस बाजी के बाद नॉर्वे देश को सिलेक्ट कर लिया गया। वह एक ऐसा देश था जिसे सभी की बनती थी और किसी को इससे कोई ऐतराज भी नहीं था। फिर वहां की शांति और अच्छे रिसोर्सेस ने भी इस देश के चुने जाने में अपनी भूमिका निभाई। संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए 11 देशों को सभी तरह के अधिकारों की समीक्षा के लिए चुना गया। इन 11 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, रूस, भारत, चीन, नॉर्वे, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को शामिल किया गया। ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के मत में इस बात को शामिल किया गया यह देश एलियन स्पेसशिप के उन सबसे नजदीकी देशों में से हैं जहां वह आई थी। भारत के मामले में भी कुछ इसी तरह के तर्क थे लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और होनहार साइंटिस्ट के कारण यह तर्क उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं। इसके बाद अमेरिका, चीन और भारत के नेताओं को इस संगठन का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और चीफ चुना गया । चीफ वाली गद्दी भारत के हाथ आई, हमले का केंद्र गोवा होने के कारण भारत को यह गददी लेने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। कुछ पारूप बनाकर इस संगठन के नए संविधान की नीव भी रख दी गई। कुछ नियम शुरुआत में ही शामिल कर लिए गए। जैसे किसी भी देश के सदस्य के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा, सबके साथ समानता का व्यवहार होगा, कोई भी देश अपने प्रभावशाली होने का रोब नहीं झाड़ेगा अगेरा बगैरा। अंत में सभी देशों के राजनेताओं ने अपने अपने देश में प्रेस के अंदर बयान जारी किया।
    
    "हमारे प्यारे देशवासियों, हम जानते हैं, यह मुश्किल की घड़ी है लेकिन आपको घबराने की आवश्यकता नहीं। सभी देश मिलकर एलियन से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। जल्द ही हमारे हाथ एक ऐसी तकनीक होगी जो इस तरह के किसी भी खतरे से लड़ सकती है ‌ आने वाला भविष्य एक सुंदर और डर से मुक्त भविष्य होगा।" इसके बाद उन्होंने एंटी एलियन संगठन के बारे में बताया। इसे शॉर्ट में एएजी पुकारा जाने लगा। मात्र 20 से 25 सेकेंड के अंदर अंदर एएजी शब्द दुनिया की कोने कोने में चर्चा का विषय बन गया। एएजी यानी एंटी एलियन ग्रुप.....

    सभी धरतीवासियों का एक साथ होना
    
    राज को कारागृह में बंद हुए काफी समय हो गया था। इधर उसके साथ वाले कारागृह में मिशा और मिस्टर रावत बद थें। अभी तक दोनों में कोई गुफ्तगू नहीं हुई थी, ना तो राज को उन दोनों के बारे में पता था, ना ही उन दोनों को राज के बारे में। जिस कारागृह में राज बंद था वह वैसा ही था जैसा मिशा और मिस्टर रावत का था। कमरे में दो गद्देदार बैड थें। आवश्यक रोशनी के लिए कुछ बल्ब लगे हुए थे। बेड के ऊपर एक छोटे फ्रिज जैसी आकृति थी, इस आकृति से हर वो चीज निकल जाती थी जिसकी आवश्यकता इंसान को होती है। उसके बाहर कुछ बटन लगे हुए थे जिसे दबाने पर चीजें निकलती है। जब राज ने पहली बार इसे देखा था तब उसे समझ नहीं आया था कि यह क्या है, पर जब उसने उसके बटन दबाए तब वह समझ गया था इसे यहां किस लिए रखा गया है। बटन दबाने पर वहां से कुछ खाने की चीजें और पीने के पय पर्दाथ निकले थे। ऐसा ही कुछ मिशा और मिस्टर रावत के साथ हुआ था। उन्हें भी उसकी कार्यप्रणाली जल्द समझ आ गई थी। कारागृह की ही पिछली दीवार पर एक दरवाजा था जहां बाथरूम की सुविधा थी। कुल मिलाकर कारागृह इस तरह से बनाया गया था जहां इंसानों को रहने में किसी तरह की दिक्कत ना आए। इससे एक बात और स्पष्ट हो जाती थी, इन एलियंस ने कहीं ना कहीं यहां आने से पहले इंसानों पर सर्च की है। इसलिए वह इन्सानों के रहन सहन को जानते थे।
    
    काफी देर कारागृह में चहल कदमी करने के बाद राज ने अपने हाथ वहां बने कांच की सलाखों पर मार डाले, इससे एक आवाज हुई और उसे पास के कारागृह में बंद मिस्टर रावत ने सुन लिया।
    
    उनके मस्तिष्क में काफी देर बाद किसी तरह आहट या कोई अतिरिक्त गतिविधि होने का अंदेशा जगा। वह तुरंत बोले "कोई है?? क्या यहां कोई है?? " बोलते वक्त उन्होंने खुद को सलाखों के बिल्कुल करीब कर लिया था। हालांकि उन्हें यह नहीं पता था वहां कौन है पर इतना जरूर था की इससे उन्हें उम्मीद की एक और किरण मिल गई थी।
    
    "हां" जैसे ही हिंदी लाइने राज के कानों में पड़ी उसके कान खड़े हो गए। उसके दिल में भी वैसे ही एहसास थे जैसे एहसास मिस्टर रावत के दिल में आए थे। इस जगह पर वह किसी इंसान को पाकर बहुत खुश था। डिवाइस से आने वाली हिंदी आवाज के बाद यह दूसरी हिंदी आवाज थी जो उसने सुनी। "हां, मैं हूं... राज" राज ने फिर खुशी से अपनी बात दोहराई। एक और इंसान की आवाज सुनकर मिशा भी सलाखों के करीब आ गई थी।
    
    "राज..." मिस्टर रावत ने कहा"बहुत खूब, मतलब तुम इंसान हो"
    
    "हां, यकीनन मैं इंसान हूं"
    
    "तुम यहां कैसे फंसे"मिस्टर रावत का अगला पूछे जाने वाला सवाल यही था। वह लोग तो इन एलियंस की छानबीन करने के चक्कर में फस गए पर राज के साथ क्या हुआ था।
    
    "मैं बस अपना इंटरव्यू देने जा रहा था, वहीं सामने से यह एलियन आ टपके। मुझे भागने का मौका तक नहीं मिला और यहां फस गया" राज ने लाचारी और बेबसी वाले अंदाज के साथ कहा।
    
    "ओह, हमें भी भागने का मौका नहीं मिला। मैं मिस्टर रावत हूं, इसरो से और यह मेरे साथ मिशा है" मिस्टर रावत ने अपना और मिशा का परिचय दिया। परिचय देने के बाद मिशा ने भी राज को"हाए" कहा।
    
    राज ने उनका परिचय और उनके यहां के फंसने का कारण दोनों सुने, फिर थोड़ा मायुसी वाला मुंह बना कर बोला "हम एलियंस के चंगुल में फंस चुके हैं.... और अब हमारे बचने का कोई रास्ता नहीं"
    
    मिस्टर रावत राज की बात सुनकर हौसले वाली भावना के साथ बोले " पर हम एक दूसरे की मदद करे तो इसे बदल भी सकते हैं"
    
    "मदद" मदद का नाम सुनते ही राज ने थोड़ा टेढ़ा सा मुंह बना लिया। "मुझे नहीं लगता ऐसा हो पाएगा। इन एलियंस का कहना है कि वह हमें अपने मालिक के पास लेकर जाएंगे जो किसी जनडोर नाम के ग्रह पर है। उसके बाद पता नहीं क्या करेंगे क्या नहीं, मुझे तो डर लग रहा है"
    
    "जनडोर ग्रह!! यह भला किस तरह का ग्रह है..." मिस्टर रावत हैरत में थे ‌"हम लोगों ने कभी भी इस तरह के ग्रह का नाम नहीं सुना.... आखिर कौन सी गैलेक्सी में आता है?"
    
    "गैलेक्सी.. हां उन्होंने इसके बारे में बताया था" राज ने जवाब दिया "किसी सोमब्रेरो गैलेक्सी का हिस्सा है यह ग्रह"
    
    "सोमब्रेरो!!" मिस्टर रावत फिर बोले "हां इसके बारे में जानता हूं, यह यहां से करोड़ों प्रकाश वर्ष की दूरी पर ही बनी कोई गैलेक्सी है। इसे नासा ने हर्बल टेलीस्कोप से बहुत पहले खोज लिया था"
    
    दोनों की बातचीत के बीच मिशा ने दखलअंदाजी दी "मुझे नहीं पता इनके इरादे क्या है, और यह हमारे साथ करना क्या चाहते हैं लेकिन जो भी हो हमें उनके बारे में जानना होगा। हो सकता है इससे हमारे धरती वासियों को भी कोई खतरा हो और इस बात की संभावना भी है की हमारी खुद की जान भी ना बचे, लेकिन.... शायद हमें संभावनाओं के साथ ही आगे बढ़ना होगा"
    
    "तुम आखिर कहना क्या चाहती हो...??" मिशा की बात सुनकर राज ने कहा
    
    "मेरे कहने का मतलब साफ है, हम लोगों को मिलकर काम करना होगा। हम टीमअप करेंगे इसके बाद रणनीति बनाएंगे और उसके हिसाब से फैसला करेंगे कि इन एलियंस के साथ क्या करना है। जरूरत पड़ी तो इनसे मुकाबला भी करेंगे। हम लोग अकेले कुछ नहीं कर सकते पर साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं"
    
    राज ने मिशा की पूरी बात सुनी जो अपने आप में सही थी। इन परिस्थितियों में अगर लड़ना है तो उन सभी को एक दूसरे का साथ देना ही होगा। राज ने सलाखों के अंदर से अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसे मिशा की तरफ कर दिया। मिशा ने भी सामने से हाथ किया और फिर दोनों ने हाथ मिला लिया। दोनों के हाथ मिलाने के बाद मिस्टर रावत ने भी उन दोनों के हाथ पर हाथ रख दिया। अब सभी धरती वासी एक साथ हैं और आगे उठाए जाने वाले कदम भी वह मिल कर एक साथ उठाएंगे।
    
    ***
    
    6 महीने का लंबा सफर
    
    राज को वहां से ले जाने के बाद स्पेसशिप के मध्य हिस्से में शांति छाई हुई थी। जॉर्ज यानी स्पेसशिप के कप्तान की लगातार स्क्रीन पर टाइपिंग जारी थी। खाली पड़े निर्वात स्पेस में वह कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था, कुछ ऐसा जो उसके लिए महत्वपूर्ण था और शायद इसी से वह सोमब्रेरो गैलेक्सी की लंबी यात्रा को जल्दी से जल्दी खत्म करेगा। अचानक काफी समय की लंबी टाइपिंग के बाद उसकी आंखों में चमक आ गई। स्क्रीन पर हमारे सौरमंडल से कई प्रकाश वर्ष दूर किसी तरह का टाइम लुप दिख रहा था। हालांकि इसे दिखना नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह पूरी तरह से अंधेरे से भरा हुआ था। इसे पहचान पाने की क्षमता सिर्फ इन एलियंस के पास थी, जिसे ढूंढने के लिए उन्हें भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। जैसे ही जॉर्ज को टाइम लुप होने का अंदेशा मिला उसने स्पेसशिप की दिशा बदल कर उस तरफ कर दी। जीवन और जय दोनों उसके पीछे खड़े थे। वह बखूबी जानते थे कि उनका कप्तान क्या कर रहा है, पृथ्वी के सफर के बाद अब उन्हें अपने घर लौटना है। जब जॉर्ज का काम पूरा हो गया तो जीवन आगे आया और जॉर्ज के कंधे पर हाथ रखकर अपनी एलियन भाषा में कुछ बोला। जॉर्ज जीवन के बोलने के बाद भी कुछ देर तक स्क्रीन पर लगा रहा और फिर वह उसकी तरफ पलटा। उसने अपनी एलियन भाषा में उसे उसकी बात का जवाब दिया और वहां से निकल कर सीधा राज मिशा और मिस्टर रावत के सामने आ गया। अब क्योंकि राज के पास एलियंस भाषा को ट्रांसलेट करने वाला डिवाइस था इसलिए उन दोनों के बीच कम्युनिकेशन आसान हो चुका था। जॉर्ज सीधा राज की सलाखों के सामने जाकर उसे घूरने वाले अंदाज में खड़ा हो गया। मिशा और मिस्टर रावत भी सलाखों के करीब आकर जॉर्ज को ही देख रहे थे। वह दिखने में डरावना लग रहा था पर इसके बावजूद उसकी आंखों की चमक उसे कुछ हद तक खास बना रही थी। भुरी और बड़ी आंखें ऊर्जा से भरी हुई थी। वह कुछ देर राज को घूरने के बाद उसकी सलाखों के आगे चहल कदमी करने लगा। मिशा और मिस्टर रावत के साथ-साथ राज भी संशय में था आखिर यह एलियन यहां करने क्या आया है, क्या उसे कुछ कहना है या फिर पूछना है, या फिर उसके इरादे कुछ और ही है। जॉर्ज के हर एक कदम के साथ उनके दिमाग में अलग ही भावनाएं आ आकर ठहर रही थी। तकरीबन 6 से 7 बार इधर से उधर जाने के बाद जॉर्ज वापस खड़ा हो गया और उसने अपना मुंह कुछ बोलने के लिए खोला। वह जो भी बोल रहा था उसका ट्रांसलेशन करने के लिए डिवाइस पहले से ही मौजूद था इसलिए उसने जो भी कहा वह हिंदी में था। जॉर्ज बोला "मुझे नहीं पता इस वक्त तुम क्या सोच रहे हो और तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, लेकिन फिर भी मैं कुछ चीजें क्लियर कर देता हूं। पहली चीज हम में से कोई भी तुम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा,बशर्ते जब तक तुम लोग हमें नुकसान पहुंचाने पर मजबूर ना कर दो। दूसरी चीज, तुम लोग तब तक सुरक्षित हो जब तक हमारे ग्रह पर नहीं पहुंच जाते हैं, उसके बाद आगे का फैसला महान वनाडा का है। तीसरी बात महान वनाडा तक पहुंचने के लिए हमें पूरे 6 महीने का वक्त लगेगा। यह 6 महीने तुम लोगों को यहीं रहकर इसी कारागृह में गुजारने है। ना तुम लोग यहां से बाहर आओगे, ना तुम लोगों को बाहर आने दिया जाएगा। तुम इंसानों को रहने के लिए जिन जिन भौतिक चीजों की आवश्यकता होती है वह सब यहां मौजूद हैं। इन मशीनों में वह हर चीज है जो इंसानों को चाहिए। (उसने मशीन की तरफ अपनी आंख का इशारा करके बताया) पीछे बाथरूम और नहाने के लिए पानी की व्यवस्था है। पहनने के लिए अलग-अलग कपड़े है, कुछ कपड़े तुम आम इंसानों जैसे ही हैं तो कुछ स्पेस में पहने जाने वाले कपड़ों जैसे, लेकिन इससे तुम लोगों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। यह 6 महीने..... शायद तुम लोगों को ज्यादा लगे पर यह बहुत कम है, उम्मीद करूंगा जब तक यह 6 महीने खत्म होंगे तब तुम लोग यहां के रहन-सहन में ढल जाओगे। और फिर इसके बाद हो सकता है हमें तुम लोगों को हमारी शक्ति भी ना दिखानी पड़े" जॉर्ज ने इतना कहने के बाद अपने कदम पीछे की ओर खींचें और तेजी से मुड़कर वहां से चला गया। राज मिशा और मिस्टर रावत ने जॉर्ज की पूरी बात बिना किसी रोक-टोक के सुनी, यहां तक कि उन्होंने पूरी बातचीत के बीच हामी भरने के लिए गर्दन तक भी नहीं हिलाई। जॉर्ज जो कहता गया वह लोग सुनते गए और सुनने के बाद अंत में जब जॉर्ज वहां से चला गया तब उनके पास सिर्फ कुछ हैरानी वाले भाव के अलावा और कुछ नहीं बचा था। जार्ज उन्हें 6 महीने का कह के तो चला गया पर यह 6 महीने कैसे कटेंगे कोई नहीं जानता, ना तो मिशा की नीली आंखों में इन 6 महीनों के सफर की झलक जलक रही थी ना ही राज की आंखों में, ना ही मिस्टर रावत की आंखें कुछ कह रही थी। सब जैसे बुत से बन गए थें। उनका एलियंस के साथ लड़ने वाले प्लेन भी धराशाई हो गया। एक लंबी खामोशी के बाद राज ने सांस ली और फिर हवा छोड़ते हुए बोला। "उफफफफ... यह 6 महीने"
    
    ठीक ऐसा ही मिशा ने किया। उसने भी एक लंबी सांस ली और हवा छोड़ कर अपने बालों को ऊपर की तरफ उड़ाते हुए बोली "उफफफफ...यह 6 महीने...."
    
    जब सब बोल रहे थे तो मिस्टर रावत कैसे पीछे रह सकते हैं। उन्होंने भी कहा "उफफफफ.....यह 6 महीने...." पर मिशा और राज की तरह उन्होंने कोई लंबी सांस नहीं ली थी। वह बस अपने चश्मे को थोड़ा सा ठीक करते हुए ही बोले थे कि"उफफफफ....यह 6 महीने.." और अंत में अपने शब्दों को जोर देने के लिए मिस्टर रावत ने महिने के अंत में आने वाले स्वर 'न' को काफी लंबा खींचा। 

    
    
    2 महीने बाद, पृथ्वी पर

    पृथ्वी पर एलियंस वाले घटना को घटे पुरे 2 महीने बीत चुके थें। इन दो महीनों के अंतराल में पृथ्वी पर बहुत कुछ हुआ। सबसे पहले राज के परिवार में न जाने कितनी सारी घटनाएं घटी। उस दिन जब राज गायब हुआ था तब उन्होंने इस बात पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया। शाम तक राज की मां शिला देवी सोचती रही कि सब और हंगामा मचा हुआ है तो राज कहीं फस गया होगा। इन हालातों में शहर का ट्रैफिक पूरी तरह से जाम था। फिर रात के 10:00 बजते बजते उनकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी। उस समय उन्होंने राज को फोन लगाने की कोशिश की पर फोन लगातार नेटवर्क क्षेत्र से बाहर आ रहा था। 11:00 बजें तक वह राज को कई बार फोन कर चुकी थी लेकिन एक बार भी फोन नहीं मिला। राज की छोटी बहन पूजा भी चिंता में आ गई थी, इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज इतनी देर तक बाहर रहा हो। उन दोनों मां बेटी की पूरी रात ऐसे ही निकली, फोन करते, सोते, और कभी कभी नींद कि झपकींया लेते। सुबह होते ही उन्होंने राज के पिता को पुरी बात बताई। राज के पिता को इसकी सूचना मिलते ही उन्होंने शहर के डीएम से सीधे संपर्क किया और एक एफ आई आर दर्ज करवा दी। f.i.r. में कहां गया कि राज कहीं लापता है। पुलिस ने शुरुआती तथ्यों के आधार पर राज को तलाशने की छानबीन शुरू कर दी। वह अगले 15 दिनों तक राज को ढूंढते रहे लेकिन उन्हें राज का नामोनिशान नहीं मिला। शीला देवी राज के गम में सुखकर आधी हो गई। राज के साथ क्या हुआ है क्या नहीं उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था, उन्हें तो यह तक नहीं पता था कि वह जिंदा है भी या नहीं। पूजा ने भी खाना-पीना कम कर दिया था। राज के पिता अपनी तरफ से तमाम कोशिशें कर रहे थे पर उनकी हिम्मत धीरे-धीरे जवाब दे रही थी। 1 महीने का समय बीतते बीतते सब कुछ फिर से पहले जैसा होने लगा, पुलिस ने भी राज को तलाशने की कोशिश छोड़ दी और घर वाले भी उसके मिलने की आश छोड़ने लगे। राज के गम को भुलाने के लिए शीला देवी ने एनजीओ में ज्यादा वक्त बिताना शुरू कर दिया, वह बस अब सुबह का खाना बनाती और फिर एनजीओ चली जाती और फिर रात को ही वापिस आती। पूजा की भी दिनचर्या बदल चुकी थी। उसने अपना ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करना शुरू कर दिया। डेढ़ महीने तक सब राज को भूल गए, और उनके लिए राज एक देखे गए सपने जैसा हो गया। स्नेहा के ऊपर इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा। वह अभी-अभी राज की तरफ अट्रैक्ट होना शुरू हुई थी इसलिए शुरुआती दिनों में जब तीन-चार दिन तक राज नहीं दिखा तो वह तभी उसे भूल गई। उसने इतनी हिम्मत भी नहीं की कि वह सामने वाले घर में जाकर राज के बारे में पता करें, कैसे कर सकती थी। उसे स्थितियों के बारे में बिल्कुल नहीं पता था। वह इन सब से अनजान थी इसीलिए जो भी था, उसे उसने अपने तक रखा। 
    
    वहीं एंटी एलियन ग्रुप ने इन दो महीनों में काफी तरक्की कर ली । एंटी एलियन ग्रुप के तर्ज पर अलग-अलग देशों ने अपने यहां भी कुछ ऐसे ग्रुप बनाएं जो एलियंस के खिलाफ तकनीक को विकसित करने पर काम करने लगे। अमेरिका ने नासा की आमदनी बढ़ाकर उसे इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने के लिए कहा, जहां नासा ने अमेरिकन एलियंस स्कोड (AAS) नाम की एक ब्रांच शुरू की। इस ब्रांच का काम अपने आसपास के ग्रहों पर एलियंस के पाए जाने की संभावना, और उनसे लड़ने के तरीके पर काम करना था। भारत में स्थिति से निपटने के लिए इसरो के सहयोग से इंडियन एलियन कम्युनिकेशन सिस्टम(IACS) शुरू किया गया। इसका औचित्य कम संसाधनों में एलियन से निपटने की तैयारी करना था। शायद यह कहना गलत नहीं कि इन 2 महीनों के अंतराल में पूरा विश्व एलियंस के मामले में काफी तरक्की कर चुका था। सब देश अपने अपनी तरफ से अलग-अलग कोशिश भी कर रहे थे और उनका सम्मिलित ग्रुप AAG भी आसमान की बुलंदियां छू रहा था। ए ए जी ने अपने शुरुआती परीक्षणों में ही धरती पर आए एलियंस की टेक्निक के बारे में बहुत कुछ जान लिया था, जैसे कि वह शील्ड के रूप में अधिक ऊर्जा के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करते हैं। इतनी सारी उर्जा जनरेट करने के लिए उनकी स्पेसशिप में प्लाज्मा थेरेपी की तकनीक मौजूद रहती है। प्लाज्मा थेरेपी की तकनीक अर्थात वह लोग पार्टिकल्स को अत्यंत ही सूक्ष्म लेवल पर डिवाइड कर उससे एनर्जी रिसीव करते हैं। उन्होंने यह भी पता लगा लिया के एलियन स्पेसशिप अधिक गति से उड़ने में सक्षम है जहां वह प्रकाश गति को भी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि प्रकाश गति पृथ्वी वासियों के लिए अभी सिर्फ कल्पना मात्र है क्योंकि उनके लिए इतनी बड़ी गति प्राप्त करना संभव नहीं, पर अपनी सोच से वह इसे प्राप्त करने के तरीकों पर अनुमान जरूर लगा सकते थे। पृथ्वी वासियों के लिए प्रकाश गति के आड़े आने वाली सबसे बड़ी समस्या आइंस्टीन की समीकरणें थी जो साफ-साफ कहती है कि प्रकाश गति प्राप्त करना इतना आसान नहीं। अगर हम प्रकाश गति प्राप्त भी कर ले तो उनके अपवादों से भी निपटना होगा। कुछ खास अपवाद जैसे जब कोई प्रकाश गति से यात्रा करता है तो उसका द्रव्यमान बढ़ने लग जाता है, और फिर समय की गति में होने वाला अपवाद तो काफी फेमस है। लेकिन जो भी हो पृथ्वी वासियों ने अभी इसपर काम करना शुरू किया, बीतते वक्त के साथ उन्हें और महत्वपूर्ण परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं।

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2 महीने बाद, एलियन स्पेसशिप पर

    राज, मिशा और मिस्टर रावत इन 2 महीनों में काफी फ्रेंडली हो चुके थे। उनके लिए एक दूसरे का साथ ऐसे था मानों जैसे एक बड़े रेगिस्तान में किसी वृक्ष और पक्षी का हो। राज और मिशा की दोस्ती तो कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। मिशा ने अपनी जिंदगी के कुछ कीमती पलों के बारे में राज को बहुत कुछ बताया, जैसे जब वो छोटी थी तो स्कूल में हमेशा फर्स्ट आया करती थी। फिर बड़ी होने के बाद उसने आईएएस का एग्जाम पास किया, वहां उसे भारत की जांच एजेंसी को ज्वाइन करने का मौका मिला। इसके अतिरिक्त उसने अपने बॉयफ्रेंड राहुल के बारे में भी राज को बताया। राज ने भी अपनी जिंदगी की कुछ यादें ताजा की, जैसे उसके छोटे उम्र में की गई शरारतें, जिसमें सबसे फेमस शरारत थी कि उसने बचपन में अपने नानी के खाने में कई बार बेकिंग पाउडर मिलाया था। फिर उसने बचपन के दिनों में अपने उस समय के बारे में भी बताया जब वह यहां से दूर मुंबई शहर में रहा करते थे। अपने पापा के ट्रांसफर बाद वो लोग मुंबई से गोवा आ गए। दोनों जितना हो रहा था उतनी बातें एक दूसरे से शेयर कर रहे थे। हालांकि वह दोनों अभी प्यार वाली संभावना से कोसों दूर थे, इतने बड़े निर्वात स्पेस में एक एलियन स्पेसशिप पर इस तरह की भावना आना उन दोनों के लिए बेवकूफाना हो सकता था। अभी तो वह बस दोस्ती तक सीमित थे और शायद आगे भी ऐसे ही रहे। मिस्टर रावत ने भी इस बीच अपने बारे में बहुत कुछ बताया। उन्होंने खासकर अपनी इसरो तक पहुंचने की यात्रा का वर्णन और बखान काफी रोचक शब्दों के साथ किया था। उन्होंने बताया जब वह छोटे थे तभी से उनका सपना और जज्बा इसरो में आने का था। उन्होंने इसरो आने के लिए कड़ी मेहनत की पर वह कभी सफलता की सीढ़ी तक नहीं पहुंच पाए लेकिन बार-बार कोशिश करने वाले को कौन रोक सकता है, अंततः मेंरी कोशिश को भगवान ने अपना आशीर्वाद दिया और मैं इसरो पहुंच गया।" हालांकि इतने कम शब्दों में उन्होंने जो बताया वह राज और मिशा की समझ से बाहर था, पर उनका रोबदार अंदाज और बातों को कहने का तरीका सब पर भारी पड़ रहा था। जेल की तरह दिखने वाले इन दोनों कमरों में उनके लिए 2 महीने कब बीत गए कुछ पता नहीं चला। वहा कमरों में किसी चीज की कमी नहीं थी, नहाने के लिए बाथरूम, फ्रेश होने के लिए टॉयलेट, खाने पीने के लिए वहां रखी फ्रीजें और सोने के लिए बेड। इसके अलावा इंसान को स्पेस के अंदर एक लंबी यात्रा में और क्या चाहिए। बीच-बीच में अकेलेपन की भावनाएं सभी के मन में जरूर आती थी पर उनके पास इससे निपटने के लिए कुछ भी नहीं था। थक हार कर उन्हें इस भावना का कड़वा घूंट पीना ही पड़ता था। एलियंस भी अक्सर उन दोनों को देखने के लिए चक्कर काटते रहते थे। उन्हें देखने कभी जैक आता था तो कभी जय। वह एलियंस बस मोटी मोटी आंखों से उन्हें घूर कर देखते और फिर चले जाते। यह उनके डेली रूटीन की तरह था जो लगातर अंधेरे से डूबे स्पेस में अंदाजे से ही अपने प्रक्रम पर चलता था। 
    
    राज के पास टाइम पास के लिए वह डिवाइस भी था जो लड़की की आवाज में उसे हिंदी में बात करता था, पर राज उससे भी क्या करता। उसके अंदर सीमित मात्रा में ही चीजें सेव थी। अगर कोई चीज या बात उस के क्षेत्र से बाहर पूछी जाती तो वह कह देता "जी, क्षमा करना मेरे पास इसका जवाब नहीं। अगर आप कुछ और पूछना चाहते हैं तो पूछ सकते?" राज के लिए तो वह एक तरह से गूगल ही था जो आपको सभी बातों का जवाब नहीं दे सकता। ना तो उस डिवाइस में कोई फिलिंग थी ना ही कुछ और। आप बस उसे देख सकते थे, उसके साथ खेल सकते थे (क्योंकि वह एक खिलोने जैसा था) और फिर उसे वापस रख सकते थे। 
    
    वहीं स्पेसशीप में रहने वाले चारों एलियंस की जिंदगी कुछ खास नहीं थी। सब बस अपना अपना काम करते, ना कोई किसी से बिना मतलब के बात करता ना ही कुछ और। चारों के बर्ताव को देखकर एक बात और स्पष्ट हो रही थी कि वह चारों के चारों ही नर थे। मतलब उनमें एक दूसरे के प्रति अट्रैक्शन होने वाली कोई भावना नहीं थी, और हम तो जानते हैं प्रकृति का यही नियम है कि अट्रैक्शन सिर्फ विपरीत अवस्था वाली चीजों में ही होता है। भले ही वह पृथ्वी पर हो या पृथ्वी से कोसों दूर किसी एलियंस ग्रह पर। हो सकता है मेरी यह बात गलत भी हो, क्या पता कहीं कोई ऐसा जगह हो जहां समान अवस्था वाली चीजों में भी अट्रैक्शन होता हो पर अभी इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। अभी तो बस जो आंखों के सामने हैं उसका ही बखान किया जाएगा। इन दो महीनों के सफर में एलियन की स्पेसशिप पता नहीं कितनी दूरी तय कर चुकी होगी, प्रकाश वर्ष के शब्दों में कहूं तो एलियन स्पेसशिप ने लगभग इतना सफ़र तय किया होगा जितना सफर प्रकाश को 2 महीने में दूरी तय करने में लगता है। लेकिन यह गणना पूरी तरह स्टीक नहीं, उनकी स्पेस शिप कभी-कभी प्रकाश गति से अधिक गति भी पकड़ रही थी। स्पेसशिप के पीछे लगे चारों लांचर जब एक साथ चलते थे तो गति प्रकाश गति से कहीं ज्यादा हो जाती थी। इस हिसाब से उन्होंने काफी ज्यादा दूरी तय की होगी, और शायद वह जल्द ही अपने मंजिल के करीब भी पहुंच जाएंगे। इसके अतिरिक्त टाइम लुप्स तो था ही। 

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    6 महीने बाद पृथ्वी पर
    
    6 महीने पूरे होते होते पृथ्वी पर हालात पूरी तरह से बदल गए। भारत में इसरो द्वारा स्थापित एजेंसी और अमेरिका में नासा द्वारा स्थापित एजेंसियां अब अपनी जड़े पूरी तरह से जमा चुकी थी। एएजी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस बात का तोड़ निकाल लिया कि एलियन से भविष्य में कैसे मुकाबला किया जाए। अपनी गणना में वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर एलियंस को हराना है तो पहले उनकी शिल्ड को ब्रेक करना होगा, शील्ड को ब्रेक करने के बाद हमारी मिसाइलें उस यान पर अपना प्रभाव बनाने लग जाएगी। वैज्ञानिकों ने शिल्ड को तोड़ने के तरीके भी बताएं जिसमें सबसे प्रसिद्ध तरीका साइबर अटैक था, वैज्ञानिकों ने समझाया कि एलियन जिस तकनीक का उपयोग करते हैं उसे हम तरंगों के माध्यम से हाईजैक कर सकते हैं। इस हाईजैकिंग की प्रक्रिया से हमलोग उनके कंप्यूटर सिस्टम में सेंध लगाकर शील्ड और स्पेसशीप की दूसरी चीजों को खराब कर सकते हैं। हालांकि इस बात की संभावना को बहुत कम आंका जा रहा है कि पृथ्वी वासी अपनी इस योजना में कामयाब होंगे, क्योंकि अभी इसे थ्योरी ही माना जा रहा है, ना तो इसके ऊपर एक्सपेरिमेंट किए गए ना ही किसी ने इस बात को पुख्ता तौर पर कहा कि यह तकनीक काम करेगी।
    
    इसके अलावा एएजी ने खुद की स्पेसशीप बनाने का काम भी शुरू कर दिया। स्पेसशिप का मुख्य उद्देश्य दूसरे ग्रहों पर जाना और भविष्य में इस कोशिश को बढ़ा कर दूसरे सौरमंडल तक करना है। यह सब काम सभी देशों ने सम्मिलित होकर किया था।
    
    चीन ने एक बड़े टेलिस्कोप का उदाहरण देते हुए कहा की टेलीस्कोप की गुणवत्ता बढ़ाकर हमें अंतरिक्ष में मिलने वाले एलियंस के ग्रहों की भौगोलिक स्थिति के बारे में पता लगाना चाहिए, अगर हम ग्रह की भौगोलिक स्थिति का पता लगा ले तो हमें वहां के लोगों की कमजोरी के बारे में भी पता लग जाएगा और सीधी सी बात है, अगर कमजोरी का पता हो तो उन्हें हराना भी बहुत आसान है। फिर भारत का भी प्रस्ताव था कि अभी हमें अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों की रफ्तार तीन गुनी कर देनी चाहिए, अंतरिक्ष क्षेत्र में जितनी खोज और आविष्कार किए जाए उतना ही बेहतर।
    
    मीडिया के नजरिए में भी कई सारे बदलाव आ चुके थे, मीडिया धीरे-धीरे एलियंस की खबरों के लिए अब लगातार प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के बारे में सोचने लगी, कुछ मैं तो इस तरह के प्रोग्रामों का प्रसारण भी होने लगा। फिल्म क्षेत्र ने इस पर बनने वाली फिल्मों की संख्या दोगुनी कर दी। एलियंस पर आने वाले धारावाहिक कार्यक्रम आग पकड़ रहे थे। बच्चों में भी एलियंस को लेकर क्रेज जाग गया। इन 6 महीनों में पृथ्वी पर जितने बदलाव आए शायद यह बदलाव पहले कभी देखने को मिले। लोग एलियंस और एलियंस की खबरों को सुनने का आदी हो चुके थे, अब तो उनके मन से एलियंस का डर भी दूर होने लगा था। 6 महीने पहले दिखने के बाद फिर कभी दोबारा उनके दिखने की खबर भी पृथ्वी वासियों को नहीं मिली। वैसे खबर ना मिलने में अमेरिका का भी बहुत बड़ा हाथ था, उन्हें नासा से जितने भी रिजल्ट मिले थे उन्हें कभी भी पब्लिक नहीं किया। अमेरिकन टेलीस्कोप हर्बल की नजर उस स्पेसशीप पर तब तक थी जब तक वह हमारे सौरमंडल से बाहर नहीं निकल गया।
    
    राज के परिवार वाले भी अब धीरे धीरे ठीक होने लगे थे, राज की मां वापिस घर गृहस्ती वाले जीवन में आ गई, और अब उनका एनजीओ आना-जाना सिर्फ दिन में कभी कबार होता था। एक और दिलचस्प बात, अब स्नेहा को भी पता लग गया था कि राज 6 महीने से गायब है । संयोगवश एक दिन स्नेहा की मुलाकात शीला देवी से हुई थी और वहीं से उन दोनों के बीच बातचीत होने लगी। कुछ दिनों बाद स्नेहा ने खुद ही आगे से पूछा कि आपके यहां एक लड़का रहता था वह कहीं दिखाई नहीं देता, तब राज की मां शीला देवी ने बताया कि वह मेरा ही बेटा था और 6 महीने पहले कहीं लापता हो गया। यह सब बताते वक्त शीला देवी की आंखों से आंसू झलक रहे थे और कुछ पुरानी यादें भी ताजा हो गई थी, पर स्नेहा ने जल्द ही उनको संभाल लिया था। इसके बाद स्नेहा भी घर जाकर काफी रोई, इस तरह से किसी का यूं चले जाना सबको खटकता है, स्नेहा पर भी इसका प्रभाव दिखा। पूजा को उसके पिता ने स्टडी के लिए बाहर भेज दिया, हाल फिलहाल में वह अमेरिका के किसी स्कूल में स्टडी कर रही थी। राज के जाने के बाद पूजा ही उनके लिए सब कुछ थी और वे चाहते थे कि वह पूजा की अच्छी परवरिश करें। इनके चलते उन्होंने पूजा को बाहर भेजना उचित समझा, इसी बहाने पूजा भी राज को भुलकर अपने करियर का अच्छा ध्यान देगी। 

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4 Comments

Fiza Tanvi

20-Nov-2021 01:06 PM

Good

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Miss Lipsa

30-Aug-2021 08:46 AM

Wow.... Bohot acha hai part

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ayush mahasy

10-May-2021 10:44 PM

अरे श्रीमान आपने तो कमाल ही कर दिया

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